श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा सुखबीर बादल को तन्खाहिअ घोषित किए जाने के बाद सिख परंपरा के मुताबिक धार्मिक सजा में देरी को लेकर परमजीत सिंह सरना का बयान सामने आया है। सरना ने कहा है कि सिख समुदाय में श्री अकाल तख्त साहिब की सर्वोच्चता को लेकर किसी को कोई शंका या शक्क नहीं है। श्री अकाल तख्त साहिब सिखों के लिए सर्वोच्च था और रहेगा। श्री अकाल तख्त साहिब की भी एक पद्धति है। श्री अकाल तख्त साहिब पर गलती करने वाले सिख को सजा देने का उद्देश्य सिख के दिल को साफ करना और उसे गुरु दर के साथ फिर से जोड़ना है, न कि किसी राजनीतिक या अन्य मुद्दे के कारण उसे अलग करना।
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष और शिरोमणि अकाली दल की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने कहा कि श्री अकाल तख्त साहिब से दी गई कोई भी सजा या ताड़ना गुरु से नाता जोड़नेका एक तरीका है लेकिन आज शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल, जिन्हें श्री अकाल तख्त साहिब ने पंथक परंपरा के अनुसार तन्खाहिअ घोषित किया था, पर दबाव बनाने के लिए राजनीतिक बहिष्कार या पूरी तरह से अलग करने के बयान दे रहे हैं। वह सिख परंपरा का हिस्सा नहीं है, जब उसने श्री अकाल तख्त साहिब के आदेशों के आगे सिर झुकाकर पेश किया है तो पंथ की परंपरा के मुताबिक उसे पंज सिंह साहिबों द्वारा सजा दी जानी चाहिए, लेकिन इस प्रक्रिया में देरी हो रही है जो पहले कभी नहीं देखी गई ।
श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा किसी भी सिख को सज़ा देने के बाद, उसे सज़ा पूरी करने और गुरु रूप खालसा संगत में फिर से शामिल होने का पूरा अधिकार है। राजनीतिक मतभेदों के कारण किसी को इस अधिकार से वंचित करने की बात करना पंथ की परंपरा के खिलाफ जाने के समान है।