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सामाजिक चुनौतियों से निपटने के लिए विज्ञान पत्रकारिता एक सशक्त उपकरण

साइंस सिटी में विज्ञान पत्रकारिता पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।

पुष्पा गुजराल साइंस सिटी कपूरथला द्वारा पत्रकारिता पेशे से जुड़े छात्रों के विज्ञान पत्रकारिता कौशल को निखारने के लिए प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें पंजाब भर के पत्रकारिता कॉलेजों के 100 से अधिक छात्रों और शिक्षकों ने भाग लिया। इस कार्यशाला के माध्यम से साइंस सिटी ने छात्रों को विज्ञान पत्रकारिता में अपनी समझ और विशेषज्ञता बढ़ाने के लिए एक मंच प्रदान किया।
कार्यशाला की शुरुआत के मौके पर साइंस सिटी के निदेशक डॉ. राजेश ग्रोवर ने छात्रों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि जटिल वैज्ञानिक अनुसंधानों को समझने योग्य बनाने,में कुशल पत्रकारों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जिससे एक ज्ञानवान एवं बुद्धिमान समाज का निर्माण होता है. अपने संबोधन के दौरान डॉ. ग्रोवर ने वैज्ञानिक साक्षरता की आवश्यकता पर जोर देते हुए वैज्ञानिक डेटा, विशेषज्ञता और वैज्ञानिक विषयों की मीडिया कवरेज जैसी विज्ञान पत्रकारिता के सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर उन्होंने पत्रकारिता पेशे में विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए तथ्य-जाँच के महत्व के साथ-साथ वैज्ञानिक जानकारी को रोचक और सुलभ बनाने की रणनीति पर चर्चा की और कहा कि ऐसी जानकारी तथ्यों पर आधारित होनी चाहिए न कि सनसनीखेज। इसके अलावा डॉ. ग्रोवर ने कहा कि वैज्ञानिकों और आम जनता के बीच की दूरी को कम कर ने के लिए अभी भी पेशेवर प्रशिक्षण की बहुत आवश्यकता है।
भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद के पूर्व प्रमुख डॉ. मनोज पटेरिया ने इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में भाग लिया और विज्ञान पत्रकारिता के लिए मीडिया के प्रभावी उपयोग विषय पर छात्रों के साथ अपने अनुभव साझा किये।इस अवसर पर डॉ.पटेरिया ने विज्ञान को आम लोगों तक पहुंचाने, भूख, अंधविश्वास, जादू-टोना और बीमारियों आदि जैसी सामाजिक कुरीतियों के समाधान में विज्ञान पत्रकारिता की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हालांकि देश में वैज्ञानिक पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय विकास हुआ है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
इस अवसर पर पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला के जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग की प्रमुख डॉ. नैन्सी वॉलिया ने “आज के कंप्यूटर युग में वैज्ञानिक पत्रकारिता” विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा कि डिजिटल मीडिया ने सभी बाधाओं को तोड़ कर एक दूसरे को जोड़ा है। आम लोगों के साथ जानकारी साझा करने और ज्ञान तक समान पहुंच प्रदान करने में क्रांति लाता है। उन्होंने कहा कि डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म ने विज्ञान की अवधारणाओं को आम जनता तक संप्रेषित करने की चुनौतियों को कम कर दिया है और अब सटीक और रोचक जानकारी सीधे लोगों तक मिनट-दर-मिनट पहुंचती है।इस अवसर पर भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियों* पर आयोजित रेडियो फीचर प्रतियोगिता में एचएमवी कॉलेज जालंधर की साक्षी ने प्रथम पुरस्कार, गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी अमृतसर की तनीषा ने द्वितीय पुरस्कार और दोआबा कॉलेज जालंधर की सिमरन ने तृतीय पुरस्कार जीता।

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