
दिल्ली से सटे पंजाब और पश्चिम उत्तर प्रदेश के इलाकों में नौ अक्टूबर तक पिछले चार साल की इसी अवधि की तुलना में खेतों में आग लगने की घटनाओं में कमी आई है। गुरुवार को राजधानी में वायु गुणवत्ता ‘मध्यम’ श्रेणी में रही। हरियाणा में भी पिछले वर्षों की तुलना में खेतों में कृषि अपशिष्ट जलाने की घटनाओं में कमी आई है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के एक विश्लेषण के अनुसार, सर्दियों के मौसम में राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण चरम पर होता है और पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं से स्थिति और खराब हो जाती है। सैटेलाइट से जुटाए गए आंकड़ों से पता चलता है कि बुधवार को पंजाब में 33, हरियाणा में 10, उत्तर प्रदेश में 10 पराली जलाने की घटनाएं हुईं और दिल्ली में ऐसी कोई घटना नहीं हुई।
15 सितंबर से 9 अक्टूबर तक पंजाब में पराली जलाने की कुल 267 घटनाएं हुईं, जबकि हरियाणा में 187 और उत्तर प्रदेश में 77 ऐसी घटनाएं हुईं। आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले चार वर्षों की तुलना में, विशेषकर पंजाब और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है। पंजाब में 2024 में इस अवधि के दौरान 267 मामले दर्ज किए गए, जबकि 2023 में 1,027 मामले, 2022 में 714 और 2021 में 614 मामले दर्ज किए गए। इसी तरह उत्तर प्रदेश में इस साल 9 अक्टूबर तक खेतों में कूड़ा जलाने की 77 घटनाएं दर्ज की गईं, जो 2023 में 151, 2022 में 80 और 2021 में 96 थीं। आंकड़ों के मुताबिक, इस साल 9 अक्टूबर तक हरियाणा में पराली जलाने की कुल 187 घटनाएं दर्ज की गई हैं, जबकि 2023 में यह संख्या 291 थी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) शाम 4 बजे 134 था, जो ‘मध्यम’ श्रेणी में था।